अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला दिवस कार्यक्रम 100 सम्मान समारोह का आयोजन किया गया

लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)शनिवार को प्रखंड कार्यालय लिट्टीपाड़ा में महिला सशक्तिकरण व सुरक्षा को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला दिवस कार्यक्रम सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।**इस आयोजन का उद्घाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर मुकेश बेसरा सहित उपस्थित प्रतिष्ठित महिलाओं द्वारा दीप प्रज्वलित कर प्रारंभ किया।**इस कार्यक्रम में प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि यह दिन नारी शक्ति और महिलाओं की उपलब्धियों को नमन करने का है। महिला दिवस का दिन हमें नारी शक्ति को हर सम्मान और उनके सपनों को पंख देने का मौका देता है। यह दिवस हमें महिलाओं द्वारा समाज में दिए गए योगदान उनके संघर्ष तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियों की याद दिलाता है।यह दिन उन्हें यह ऐहसास कराया जाता है कि वह हमारे लिए कितनी खास हैं। भारत में आजादी के बाद लगातार सुधारों से महिलाओं को पुरुषों की तरह सशक्त बनाया गया है। आज वे स्वावलंबी और स्वतंत्र है। इसीलिए अब कहा जाने लगा है कि भारतीय महिलाओं की सीमाएं आकाश की तरह अंतहीन हो गई है।**वहीं गैर सरकारी संस्था ” प्रवाह ” के आजीविका प्रखंड समन्वयक शालिनी सन्नी और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट समर्पिता भट्टाचार्य ने उपस्थित महिलाओं को अपने संबोधन में कहा कि नारी स्वतंत्रता का मतलब उसकी शक्ति को पहचानना और सम्मान देना है। हर नारी को खुद पर विश्वास होना चाहिए तभी वह कुछ बड़ा कर सकती है। एक महिला केवल घर नहीं संभालती ब्लकि वह पूरी दुनिया बदल सकती है। सशक्त महिला वह है जो खुद के फैसले लेने में सक्षम हो।**अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के आवास पर इस कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाली पाँच सेविका, पाँच जलसहिया, पाँच जेएसएलपीएस दीदी और कर्मी, पाँच ए.एन.एम , पाँच दीदी बाड़ी योजना के महिला लाभुक, पाँच स्कुली बच्चों को ब्लेजर, 20 छात्राओं को साइकिल वितरण सहित प्रशस्ति-पत्र, पुष्पगुच्छ और फूल देकर सम्मानित किया गया ।**इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से महिला पर्यवेक्षिका सोनाली कुमारी, रागिनी कुमारी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिका सीमा कुमारी, भारती कुमारी, वनिता सरकार सहित दर्जनों आँगन बाड़ी सेविका, सहायिका, ए.एन.एम, स्वास्थ्य सहिया, जलसहिया, स्वयं सहायता समूहों की दीदी और काफ़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।*

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